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Wednesday, August 21, 2013

रेशम के नाज़ुक धागे में बंधा पवित्र स्नेह-दुलार..


पावन पर्व राखी का 
देता ये भीगा सा अहसास
भाई-बहिन का यह रिश्ता
देखो है कितना खास

रेशम के नाज़ुक धागे में
बंधा पवित्र स्नेह-दुलार
यही है इस पावन पर्व का
गरिमा-पूर्ण मनुहार

लक्ष्मी ने बाँधी थी राखी
बाली की कलाई
बदले में मांग ली थी
विष्णु की रिहाई

तब से अब तक बहनों ने
भाई संग प्रीति निभाई
जब-२ बाँधी डोर रेशम की
भाई ने रक्षा कर कसम निभाई


बढ़ी दूरियां, बदला माहोल
राखी की गरिमा में हुआ है ह्यास
रह गयी डोरी प्रेम की
सिर्फ एक औपचारिकता आज

बहिन सोचे राखी के धागे में
जड़ दूँ मोती, हीरे हज़ार
भाई सोचे क्यूँ है डाले
बहना मेरे सिर पे ये भार

आज रेशम की ये डोर
करती सबसे इक गुहार
सींचो इस रिश्ता को
रख दिल में प्यार-२ बस प्यार......... poonam 

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